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हिंदी कहानियां - भाग 119

एक दिन बादशाह ने सभी दरबारियों से एक प्रश्न पूछा कि सबसे उज्जवल क्या होता है?


सभी दरबारियों ने किसी ने कपास तो किसी ने दूध बताया| बीरबल को चुप देखकर बादशाह बोले कि‘बीरबल, आपकी क्या राय है’?

बीरबल ने उत्तर दिया कि‘जहांपनाह, मेरी समझ से तो सबसे उज्जवल दिन होता है’| बादशाह बोले कि‘तुम्हें इस बात को साबित करना पड़ेगा’| बीरबल ने यह स्वीकार कर लिया| अगले दिन दोपहर में जब बादशाह विश्राम कर रहे थे|

तब बीरबल ने एक कटोरा दूध तथा 2-4 कपास के फूल ले जाकर दरवाजे के पास रख कर दरवाजे चारों तरफ से बंद कर दिए|

प्रकाश बिल्कुल नहीं आ रहा था| बादशाह जब उठे तो सीधे दरवाजे की तरफ बढ़ने लगे|

अंधेरा होने की वजह से सारा दूध गिर गया| दरवाजा खुलने से प्रकाश हुआ तो बादशाह ने दूध का कटोरा तथा कपास को बिखरा हुआ पाया| बाहर निकलते ही बादशाह ने बीरबल को बैठे हुए देखा और मन ही मन सोचा कि यह जरूर बीरबल की ही कारस्तानी है|

बादशाह ने बीरबल को दरबार में बुलाया और इस गुस्ताखी की वजह पूछी| बादशाह के पूछने पर बीरबल ने उत्तर दिया कि जहांपनाह, कल के दरबार में सबसे उज्ज्वल पर लोगों ने अपनी अपनी राय दी थी| सभी ने दूध और कपास को मुख्य रुप से बताया था| मैंने दिन को सबसे उज्जवल बताया था|

मैंने दूध और कपास इसलिए रास्ते में रख दिए थे, क्योंकि यह चीजें उज्ज्वल है तो जरूर दिखाई देंगी| किंतु ऐसा हो ना सका| इसलिए अब तो आपको मानना पड़ेगा कि दिन भी सबसे उज्जवल होता है, क्योंकि दरवाजा खोलते ही प्रकाश हुआ| जिससे आप सब चीजों को देख पाए| बादशाह, बीरबल की बुद्धिमानी पर दंग रह गए|

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